अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इकाई बोड़ला जिला कबीरधाम के कार्यकताओं ने स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय बोड़ला से आक्रोश रैली निकालकर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बोड़ला कार्यालय का घेराव करने निकले। जिसमें जमकर नारेबाजी करते हुए कड़ा प्रदर्शन किया।
ज्ञात हो कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जिला कबीरधाम इकाई बोड़ला के कार्यकर्ताओं ने 20 बार से अधिक ज्ञापन समस्याओं के निराकरण करने दिया था। गैर हाल ऐसा हैं की अधिकारियों के सुस्त रवैया के चलतें विद्यार्थी आभाव में बग़ैर शिक्षक पढ़ाई को विवश हैं। अभाविप ने प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नाम 10 सुत्रीय ज्ञापन सौंपा हैं।
अभाविप के प्रदेश सहमंत्री तुषार चन्द्रवंशी ने बताया कि गौरतलब है कि जनजाति बाहुल्य बोड़ला में जिस प्रकार से विद्यार्थी हितों की अनदेखी हों रही है वह निंदनीय है। पीएम श्री में कला संकाय के लिए शिक्षक का न होना आखिर क्या दर्शाता है। शासन प्रशासन दंभ भरते हुए निःशुल्क शिक्षा की बात करती है मगर धरातल पर देखें तों यह मात्र छलावा है। विद्यार्थी हायर सेकंडरी कक्षाओं में बग़ैर शिक्षक अध्ययन करने मजबूर हैं।ऐसी व्यवस्था अभाविप कदापि बर्दाश्त नहीं करेंगी।
अभाविप का स्पष्ट मांग है की नालंदा परिसर की भांति बोड़ला नगर में लाईब्रेरी की स्थापना हों। जहां युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां करने एक अच्छा माहौल के साथ अध्ययन मटेरियल्स मिल सकें।
अभाविप नगर मंत्री वेदांत चौहान ने कहा कि बोड़ला विकासखंड का एकमात्र शासकीय महाविद्यालय स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय बोड़ला जोकि वर्ष 2011 से संचालित हों रहा है।जिसके लिए राज्य शासन से 5 एकड़ जमीन प्रदान करते हुए भवन का निर्माण कराया गया। परन्तु आज की स्थिति में महाविद्यालय के पास 05 एकड़ जमीन भी नहीं है।भूमि माफियाओं के कब्जे पर हैं।इसका प्रमुख कारण बाउंड्री वॉल का निर्माण न होना हैं।
ज़िले के अंतिम छोर चिल्फी दलदली से बड़ी आशाएं लेकर पढ़ने आने वाले विधार्थियों का स्वप्न तोड़ने का काम कर रही प्रशासन
ईश्वर वर्मा का है की यह कहना लाजमी होंगा की स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय बोड़ला हजारों विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य का केन्द्र के रूप में जाना जातें आ रहा है। लेकिन वर्तमान में महाविद्यालय की स्थिति देख पता चलता है कि यहां मिलों दुर से पढ़ने आने वाले विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा सुलभ नहीं हों पाती है। आशाएं लेकर विद्यार्थी आ तों रहें हैं।मगर महाविद्यालय में न प्राचार्य मिल रहें हैं और न ही पुस्तक और न ही प्राध्यापक गण। व्यवस्था इतना चरमराई हुई है की यहां विद्यार्थी अब बहुत कम संख्या में कक्षाएं आ रहें हैं।
छात्रावास में मनमाने ढंग से पदस्थ अधिक्षक ,शिक्षकों को तत्काल अध्यापन कार्य में संलग्न करें विभाग
रुपेश भट्ट ने बताया कि यह कहना ठीक ही होंगा की मजबूरी का नाम…… जिस तरह से अध्यापन कार्य हेतु शिक्षकों की भर्ती शासन द्वारा किया गया जिन्हें वर्षों से कईयों को तों 20 वर्ष हों गए मलाईदार अधिक्षक के पद पर ऐसे शिक्षक जो अधिक्षक पद पर अधिकारियों की कृपादृष्टि से बनें बैठे हैं इनको तत्काल प्रभाव से वहां से पदमुक्त करते हुए अध्यापन कार्य हेतु विद्यालयों में भेजा जाएं जिससे ग्रामीण एवं वनांचल में व्यापक शिक्षकों की जो कमी है उसे दुर किया जा सकता है। जिससे माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी।रुपेश भट्ट राजेश यदु गजाधर वर्मा शैलेन्द्र मानिकपुरी ईश्वर वर्मा छत्रपाल वर्मा रिखी चंद्रवंशी मिथलेश साहू,