
कबीरधाम: जल संरक्षण और संवर्धन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम जिले के बोडला ब्लॉक के गांव तितरी में एक भव्य जल उत्सव का आयोजन हुआ। इस आयोजन का शुभारंभ मां गंगा की आरती और नदी पूजन के साथ हुआ, जिसमें गांव के लगभग 250 लोग, स्थानीय नेता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सभी बीएलओ, विभाग प्रमुख और स्कूल के छात्र शामिल हुए।
जल उत्सव का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन और संरक्षण के लिए प्रेरित करना था। आरती के बाद, उपस्थित लोगों ने जल संरक्षण की शपथ ली और जल संवर्धन की दिशा में मिलकर प्रयास करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर एक विशेष तथ्य पत्र जारी किया गया, जिसमें तितरी गांव के जल संसाधनों और उनके संरक्षण के बारे में अहम जानकारी साझा की गई।
आयोजन में स्थानीय कला जत्था द्वारा प्रस्तुत नृत्य ने सभी का मन मोह लिया। पारंपरिक वेशभूषा में सजे कलाकारों ने संगीत और नृत्य के माध्यम से जल के महत्व और उसके संरक्षण का संदेश दिया। नृत्य प्रदर्शन में नदी, तालाब, झरने और वर्षा के रूपक का उपयोग करते हुए यह दर्शाया गया कि जल प्रकृति का अनमोल उपहार है और हर बूंद का संरक्षण अनिवार्य है। दर्शकों ने इस प्रस्तुति को सराहा, जिससे गांव में जल संरक्षण का संदेश गहराई से प्रसारित हुआ।
कार्यक्रम में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और जल संसाधन विभाग के प्रमुख अधिकारियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की। उन्होंने जल संसाधनों के संरक्षण, उनके कुशल उपयोग, और सिंचाई योजनाओं के बारे में ग्रामीणों को जानकारी दी। ब्लॉक कृषि अधिकारी ने गांव में फसलों और माइक्रो इरीगेशन प्रणाली पर भी जानकारी साझा की, जिससे जल के सही उपयोग में मदद मिल सके।
स्वास्थ्य विभाग ने जल उत्सव के दौरान स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया, जिसमें गांव के लोगों ने भाग लेकर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाया। इस शिविर के माध्यम से भी जल के महत्व और साफ जल के उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाई गई।
कार्यक्रम के समापन पर सभी ने एक बार फिर जल संरक्षण की शपथ ली और इस दिशा में निरंतर कार्य करने का संकल्प लिया। समापन समारोह में गांव के बुजुर्गों और जनप्रतिनिधियों ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि जल उत्सव गांव के लिए एक आदर्श है, जो भविष्य में जल के संरक्षण के प्रयासों को और मजबूत करेगा।
तितरी गांव का यह जल उत्सव न केवल ग्रामीणों में जागरूकता लाने में सफल रहा, बल्कि जल प्रबंधन के कुशल तरीकों को अपनाने और जल संसाधनों की देखभाल के लिए सामूहिक प्रयास की भावना को भी सशक्त करने में सहायक सिद्ध हुआ।