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लोहरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दवाइयों पर खेल: गरीब मरीजों से हो रही लूट, डॉक्टरों की मिलीभगत उजागर…

लोहरा,कबीरधाम : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लोहरा में गरीब मरीजों को सरकारी मुफ्त दवाओं के बजाय महंगी दवाइयों की पर्ची देकर निजी मेडिकल स्टोर से खरीदने पर मजबूर किया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि राम मेडिकल स्टोर, जो अस्पताल से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित है, से डॉक्टरों की मिलीभगत के कारण मरीजों को महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। यह मामला सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के बड़े पैमाने पर हो रहे दुरुपयोग की तरफ इशारा करता है।

 

डॉक्टरों पर कमीशन और मरीजों की मजबूरी

 

रिपोर्ट्स के अनुसार, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर नियमित रूप से मरीजों को राम मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीदने के लिए पर्ची लिखते हैं। इस स्टोर से दवाइयां लेने के बदले डॉक्टरों को महीने मे मोटा कमीशन मिलता है। मरीजों की मानें, तो बीएमओ डॉ. संजय खरसन और उनके अधीनस्थ अन्य डॉक्टरस इस कृत्य में संलिप्त हैं। यह सरकारी नियमों का खुला उल्लंघन है, जिसके तहत अस्पताल में आने वाले मरीजों को दवाइयां अस्पताल के स्टॉक से मुफ्त दी जानी चाहिए, लेकिन यहां इसका पालन नहीं किया जा रहा है।

 

गरीबों पर भारी पड़ रही है निजी मेडिकल स्टोर की लूट

 

गरीब तबके के मरीजों को मुफ्त दवाइयां देने की बजाय उन्हें महंगे निजी मेडिकल स्टोर की तरफ धकेलना उनकी आर्थिक स्थिति को और खराब कर रहा है। ऐसे लोग जो पहले से ही मुश्किल हालातों से जूझ रहे हैं, अब दवाइयों के नाम पर ठगे जा रहे हैं। अस्पताल के भरोसे आने वाले इन मरीजों को जब पर्ची थमाई जाती है, तो वे मजबूरी में महंगी दवाइयां खरीदने पर मजबूर हो जाते हैं।

 

स्थानीय जनता में भारी आक्रोश, कार्रवाई की मांग

 

स्थानीय निवासियों ने कई बार इस अनियमितता के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं की गई है। लोग बीएमओ डॉ. संजय खरसन और अन्य जिम्मेदार डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर गरीब जनता ऐसे ही निजी मेडिकल स्टोर से दवाई ले तो सरकारी अस्पताल का मतलब ही क्या?

 

प्रशासन की चुप्पी और सवालों के घेरे में बीएमओ

सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि बीएमओ को इन सबकी की जानकारी में होते हुए भी ऐसी गतिविधियों पर क्यों कोई लगाम नहीं लगाई जा रही है। क्या डॉक्टरों का कमीशन का खेल इतना मजबूत है कि प्रशासन भी इस पर चुप्पी साधे हुए है?

स्वास्थ्य विभाग से यह अपेक्षा की जा रही है कि वह इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल सुनिश्चित करे कि मरीजों को उनके अधिकारों के तहत अस्पताल से मुफ्त दवाइयां मिलें।

साथ ही, जरूरत है कि स्वास्थ्य केंद्रों पर एक सख्त निगरानी तंत्र लागू किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो सकें। गरीबों को उनके हक से वंचित करने वाले इस भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग दोनों की प्राथमिकता होनी चाहिए।

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