कुसमुंडा खदान के भूविस्थापित ग्रामीणों ने कमेटी गठन को लेकर प्रबंधन के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है। ग्रामीणों का आरोप है कि बार-बार नई कमेटी गठन के लिए दबाव बनाया जा रहा है, जबकि पहले से ही वैकल्पिक रोजगार के लिए एक समिति सक्रिय है। उनका कहना है कि नई कमेटी के जरिए भूविस्थापितों को रोजगार से वंचित कर ठेकेदारों और कोल ट्रांसपोर्टरों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
पहले से सक्रिय समिति ने दिलाया रोजगार
ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान में सक्रिय समिति के माध्यम से नीलकंठ और गोदावरी कंपनियों में लगभग 700-800 बेरोजगारों को रोजगार मिला है। बची हुई बेरोजगार आबादी के लिए भी प्रयास जारी हैं। बावजूद इसके, प्रबंधन द्वारा नई समिति गठित करने का दबाव बनाया जा रहा है, जिसे ग्रामीण किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।
ग्रामीणों की मांगें और चेतावनी
ग्रामीणों ने प्रबंधन से साफ किया है कि वे जबरन कमेटी गठन के फैसले का विरोध करेंगे। साथ ही, उन्होंने धूल और डस्ट की सफाई, छोटे खातेदारों को शासकीय रोजगार, पानी का छिड़काव, भारी ब्लास्टिंग पर रोक और क्षेत्र की शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल की समस्याओं के समाधान के लिए सीएसआर मद का उपयोग करने की मांग की है।
विरोध में कई संगठन शामिल
युवा ग्राम विकास समिति पाली, हसदेव भू विस्थापित संघ ग्राम खैरभावना, युवा भू विस्थापित संगठन पडनिया समेत कई संगठन इस विरोध में शामिल हैं। उन्होंने प्रबंधन को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
ग्रामीणों का यह विरोध खदान क्षेत्र में वर्षों से चले आ रहे विस्थापन और रोजगार के मुद्दों को उजागर करता है। अब देखना होगा कि प्रबंधन इन मांगों का समाधान किस
तरह करता है।