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धान खरीदी केन्द्रों में बारदाना के बाद अब पंडरिया कारखाना में पीपी बैग की किल्लत : आकाश केशरवानी

पीपी बैग टेंडर में भारी कमीशनखोरी के चलते उधारी के बैग से चल रहा कारखाना का काम

कवर्धा। जिले की विधानसभा पंडरिया में संचालित लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल सहकारी शक्कर उत्पादक कारखाना में शासन-प्रशासन और सत्ताधारी दल के औहदेदार जनप्रतिनिधि के संरक्षण में चल रहे भ्रष्टाचार के चलते अब एन गन्ना पेराई और शक्कर उत्पादन के बीच समर्थन मूल्य में धान खरीदी में बारदाने की किल्लत की ही तरह पंडरिया कारखाना में पीपी बैग की किल्लत खड़ी हो गई है। स्थिति ये है कि पीपी बैग के आभाव में बीते कुछ दिनो से कारखाना में शक्कर उत्पादन कार्य ठप पड़ा था । जिससे न सिर्फ सहकारी शक्कर उत्पादक कारखाना को लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है वहीं क्षेत्र के गन्ना उत्पादक किसानो को भी भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव आकाश केशरवानी ने कारखाना प्रबंधन से लेकर शासन-प्रशासन और क्षेत्रीय विधायक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जब से प्रदेश की सत्ता में भाजपा की सरकार काबिज हुई है उन्होने पंडरिया कारखाना को अपने भ्रष्टाचार का एटीएम बना लिया है। स्थिति ये है कि बस मनमाने ढंग से टेंडर जारी करो और नोट छापो। उन्होने बताया कि आज जो पंडरिया शक्कर कारखाना में पीपी बैग की किल्लत खड़ी हुई है वह भी कारखाना के पूर्व प्रबंध संचालक सतीष पाटले के कार्यकाल में खुलेआम किए गए भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का नतीजा है। उन्होने बताया कि किसी भी शक्कर कारखाना में हर साल पैराई सत्र के दौरान लाखों की संख्या में पीपी बैग की आवश्यकता होती है और कारखाना प्रबंधन द्वारा इस पीपी बैगा की आपूर्ति के लिए हर साल ई-टेंडर जारी करता है। लेकिन अगर लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटले सहकारी शक्कर उत्पादक कारखाना में पीपी बैग टेंडर की बात की जाए तो यहां बीते दो तीन सालों से लगातार एक मुख्य फर्म के साथ दो अन्य फर्मो को पीपी बैग सप्लाई का टेंडर दिया जा रहा है। अब यह कैसे संभव हो रहा है तो इसके लिए बीते वर्ष जून 2023 में खोले गए सीएसआईडीसी के टेंडर की जांच करने से स्पष्ट हो जाता है। श्री केशरवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष जून 2023 में खोले गए सीएसआईडीसी के टेंडर 6 लाख पीपी बैगा का आर्डर जीएसटी दर के साथ लगभग 42 रूपए में एल-1 हनुकृपा इंटरप्राईजेस फर्म जारी किया गया था। लेकिन इस फर्म अलावा कारखाना प्रबंधन ने दो अन्य फार्मो को भी इसी दर में 4 लाख पीपी बैगा में से कुछ पीपी बैग का आर्डर जारी कर दिया गया। अब ऐसा कारखाना प्रबंधन ने किस मंशा से किया यह जांच से ही स्पष्ट हो पाएगा।

2024 के लिए जारी पीपी बैग का टेंडर चढ़ा कमीशनखोरी की भेंट

 

इसी प्रकार वर्ष नवम्बर 2024 में 6 लाख पीपी बैग के लिए खोले गए टेंडर क्रमांक 161399 के मुताबिक कारखाना प्रबंधन द्वारा 34.95 रूपए प्रति पीपी बैग की दर से टेंडर रिद्धी सिद्धि नाम की फर्म को जारी किया गया। जबकि इससे पूर्व इसी आर्डर के लिए पहला टेंडर क्रमांक 158005 जारी किया गया था। जिसमें करीब आधा दर्ज फर्मो ने हिस्सा लिया था। लेकिन इस टेंडर बगैर कोई ठोस कारण बताए जारी ही नहीं किया। वहीं इसी कार्य के लिए दूसरा टेंडर क्रमांक 160342 भी जारी किया गया था लेकिन इसे भी कारखाना प्रबंधन द्वारा अज्ञात कारणों के चलते नहीं खोला गया और तीसरा टेंडर क्रमांक 161399 जारी किया तो इसके साथ कुछ ऐसी शर्ते और नियम शामिल कर दी गई जो पहले और दूसरे जारी टेंडर में नहीं की गई थी। शर्त लागू की गई की पीपी बैग के टेंडर में वही फर्म शामिल हो सकती है जिसने लगातार दो वर्षो तक शक्कर कारखाना में 5 लाख पीपी बैग की सप्लाई की हो। माना जा रहा है कि कारखाना प्रबंधन ने यह नियम सिर्फ इसलिए बनाया था कि इस दायरे में उनकी चहेती और कमीशन परोसने वाली फर्म आ सकें। युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव आकाश केशवानी ने आरोप लगाया है कि टेंडर के नाम पर की गई इस भर्राशाही और मनमानी की भनक कारखाना के नवपदस्थ एमडी को भी नही लग पाई और कारखाना में पूर्व से पदस्थ जीएम प्रशासन, प्रोग्रामर एवं अन्य अधिकारियों की मिलीभगत है। श्री केशरवानी ने बताया कि पंडरिया कारखाना के पूर्व प्रबंध संचालक श्री पाटले द्वारा पीपी बैग मामले में किए गए भारी भ्रष्टाचार का ही नतीजा है कि आज कारखाना में एन पेराई सत्र के बीच में पीपी बैग की भारी किल्लत खड़ी हो गया है और नौबत यहां तक आ गई है कि कारखाना के प्रोडेक्शन को बंद करना पड़ गया ।

 

उधारी के पीपी बैग से चल रहा था काम

 

युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव आकाश केशरवानी ने बताया कि पेराई सत्र प्रारंभ होने के पूर्व लाखों रूपए का पीपी बैग टेंडर जारी करने के बाद भी पंडरिया शक्कर कारखाना को अंबिकापुर के मां महामाया सहकारी शक्कर उत्पादक कारखाना से उधारी में पीपी बैग मांगने की नौबत आ गई और बताया जाता है कि अब तो अंबिकापुर कारखाना ने भी उधारी देना बंद कर दी है। जिसके चलते अब पंडरिया कारखाना में शक्कर उत्पादन ही ठप पड़ गया । लेकिन सुनने में आया है कि अब पीपी बैग के मामले में माँ दंतेश्वरी बालोद शक्कर कारखाना ने कुछ मदद की है और फिलहाल खींचतान के प्रोडेक्शन शुरू हुआ है। निश्चित रूप से इस स्थिति के लिए पूर्व कारखाना प्रबंध सतीश पाटले और उनके साथी अधिकारी दोषी हैं जिनके कृत्यों की शासन-प्रशासन को निष्पक्ष जांच कर उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए तथा उनके कारण कारखाना व किसानो को होने वाले नुकसान की भरपाई उनके वेतनमान से की जानी चाहिए। लेकिन यह तभी संभव है जब सत्ताधारी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि इन भ्रष्ट कारखाना के अधिकारियों को अपना संरक्षण देना बंद करें।

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